आदित्य एल1 Aditya L Mission I सूर्य मिशन I aditya l1 mission I What is mission of Aditya-L1?आदित्य l1 का मिशन क्या है?Aditya L1 Mission in Hindi I सूर्य मिशन क्या है?क्या आदित्य एल1 सूर्य पर उतरेगा?Aditya L1 launch date I आदित्य एल1 कब लॉन्च हो रहा है?आदित्य एल1 मिशन क्या है (ADITYA-L1 Mission) ‘Suryayaan 1’ Launch Date
चंद्रयान मिशन की सफलता के पश्चात अब वैज्ञानिकों ने अपने दूसरे महत्वपूर्ण अभियान की तैयारी शुरू कर दी है I चंद्रमा के बाद अब इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन) की नजर सूर्य पर अपने अंतरिक्ष यान को भेजने की तरफ है I वैसे चंद्रयान मिशन से पहले ही इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है I आज 2 सितंबर 2023 को सूर्य पर इसरो का आदित्य एल1 सफलतापूर्वक पीएसएलवी सी 57 रॉकेट के द्वारा सफलतापूर्वक लॉन्च हो गया I सूर्य पर जाने वाले इस सूर्य यान के बारे में जानने के लिए आपकी उत्सुकता बढ़ रही होगी , तो आइए जानते हैं इस महत्वपूर्ण अभियान के बारे में जिस पर आज तक केवल नासा व तथा यूरोपीय स्पेस एजेंसी के सैटेलाइट ही पहुंच पाए हैं I

आदित्य एल1 मिशन क्या है
सूर्य के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना कर पाना संभव नहीं है सूर्य हमेशा से ही हम पृथ्वी वासियों के लिए जिज्ञासा का केंद्र रहा है I सूर्य के ऐसे अनेक रहस्य हैं जिन्हें जानने से अंतरिक्ष में संभावनाओं के असीम केंद्र खुल जाएंगे I अभी तक सूर्य की सतह पर होने वाली हलचल को जानने के लिए हम दूसरी एजेंसियों पर निर्भर है I अगर यह मिशन सफल हुआ तो ऐसा करने वाला भारत विश्व का तीसरा देश बन जाएगा तथा सूर्य के अध्ययन में आत्मनिर्भर हो जाएगा I
सूर्य का L1 पॉइंट क्या है


- सूर्य का पर्यायवाची शब्द आदित्य है तथा L1 का अर्थ है लाग्रेंज प्वाइंट I
- लाग्रेंज पॉइंट वह स्थान होता है जहां पर किसी भी सेटेलाइट के लिए सूर्य का अध्ययन कर पाने की अनुकूल दशाएं होती है , अब आप सोचेंगे कि यह दशाएं कौन सी है I असल में सूर्य की ज्यादा समीप जाने पर सैटेलाइट को वह अपने गुरुत्वाकर्षण शक्ति से अपनी और खींच लेगा I अतः यह एक ऐसी जगह है जहां पर सूर्य तथा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण शक्ति का प्रभाव सेटेलाइट पर नहीं पड़ेगा और वह आसानी से सूर्य की सतह पर होने वाली हलचलो का अध्ययन कर पाएगा I
- दूसरे शब्दों में इस पॉइंट से गुजरने वाले ऑर्बिट पर जब कोई सैटेलाइट रखी जाती है तो वह सूरज तथा पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से बच जाता है इससे अंतरिक्ष यान अपनी स्थिति को बरकरार रख पाता है I
- लैंगरेज प्वाइंट एक तरह से पार्किंग प्वाइंट है जहा पहुंचने पर कोई वस्तु रुक जाती है।
- एल 1 पॉइंट पृथ्वी से 15लाख किलोमीटर की दूरी पर होता है I
- ऑर्बिट में रखे गए सेटेलाइट से सूरज को बिना किसी छाया या ग्रहण के देखा जा सकेगा I
- इसका नामकरण इतालवी – फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ लुइस लाग्रेंज के नाम पर रखा गया था I
- क्योंकि यह दोनों शब्द सूर्य से ही संबंधित है इसीलिए इस मिशन को आदित्य L1 मिशन नाम प्रदान किया गया है I
आदित्य एल1 मिशन का उद्देश्य क्या है
- सूर्य की सतह पर होने वाली विभिन्न गतिविधियों का अध्ययन करना जैसे सौर कलंक, सौर ज्वाला , सूर्य की सतह से उठने वाले तूफान जिसमें भू चुंबकीय तूफान प्रमुख है I
- सूर्य की सतह पर होने वाली गतिविधियों के अध्ययन में भारत को आत्मनिर्भर करना I
- पृथ्वी की ओर आने वाले इन सौर तूफानों की पूर्व जानकारी प्राप्त करना ताकि उनसे समय रहते बचा जा सके गौरतलब है सौर तूफानों से अंतरिक्ष में घूम रहे हमारे सेटेलाइटो पर नुकसान होने की संभावना बनी रहती है I
- सूर्य के कोरोना का अध्ययन करना I अभी तक सूर्य के कोरोना का अध्ययन केवल पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान ही संभव हो पाता है परंतु आदित्य L1 के स्थापित हो जाने से किसी भी वक्त हम इसका अध्ययन कर पाने में समर्थ हो पाएंगे I
- युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि जगाना I
आदित्य एल1 कब लॉन्च हो रहा है?
जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है चांद के बाद अब सूर्य की बारी है तो यह संभावना जताई जा रही थी कि सितंबर 2023 के पहले सप्ताह में आदित्य L1 को लॉन्च कर दिया जाएगा I इसे लॉन्च करने में पीएसएलवी सी57रॉकेट की मदद ली जाएगी I आज 2 सितंबर 2023 को इसे सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।
आदित्य एल1 महत्वपूर्ण उपकरण संक्षिप्त जानकारी
आदित्य एल मिशन में 7 महत्वपूर्ण उपकरण जिन्हें पैलोड कहा जाता है , यह पूरी तरीके से भारत में बने हैं (Make in India) उनका संक्षिप्त विवरण प्रकार है :
- विजिबल एमिशन लाइन कोरोनोग्राफ (VELC) बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एस्ट्रोफिजिक्स ने बनाया है ,यह पता लगाएगा की कैसे कोरोना तापमान लगभग 10 लाख डिग्री तक पहुंच जाता है जबकि सूर्य की सतह का तापमान 6000 डिग्री सेल्सियस से थोड़ा अधिक रहता है I
- सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप पुणे के इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स के द्वारा बनाया गया है तथा यह कोरोना और सौर क्रोमोस्फीयर का अध्ययन करेगा I
- सोलर एनर्जी L1 एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर I
- हाई एनर्जी L1 ऑर्बिट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटरI
- सोलर विंड एटम डिटेक्टर
- प्लाज्मा एनालिसिस पैकेज
- थर्ड ऑर्बिट high-resolution मैग्नेटोमीटर
एक्स-रे पैलोड सौर लहरों का अध्ययन करेगा पार्टिकल डिटेक्टर और मैग्नेटोमीटर आवेशित कणों तथा लाग्रेंज पॉइंट चुंबकीय क्षेत्र के बारे में अध्ययन करेगा I
आदित्य एल1 मिशन ओवरव्यू
मिशन का नाम | आदित्य एल1 मिशन (यहां मिशन पूरी तरीके से स्वदेशी है) |
वर्ष | 2023 |
ऑर्गेनाइजेशन | भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन |
कब लॉन्च होगा | सितंबर के प्रथम सप्ताह मैं (2 सितंबर 2023 ) |
उद्देश्य | सूर्य की सतह पर होने वाली गतिविधियों का अध्ययन करना जैसे सौर कलंक , सौर तूफान सूर्य का कोरोना , सूर्य से निकलने वाली रेडिएशन जो चंद्रमा को प्रभावित करती है उसका अध्ययन करना |
लाभ | सूर्य से आने वाले तूफानों की जानकारी पहले ही प्राप्त हो जाएगी जिससे अंतरिक्ष में घूमने वाले सेटेलाइट को नुकसान से बचाया जा सकेगा , इसके अलावा पृथ्वी के वायुमंडल के अध्ययन में भी सहायक होगा , अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत ऐसा करने वाला तीसरा देश बन जाएगा I |
आदित्य एल 1 कहां पर स्थापित होगा | सूर्य के लेगरेंज पॉइंट पर (लाग्रेंज प्वाइंट यानी कि L1 पॉइंट की पृथ्वी से दूरी 1500000 किलोमीटर है) |
रॉकेट का क्या नाम है | पोलर सैटलाइट लॉन्च व्हीकल पीएसएलवी सी 57 |
आधिकारिक वेबसाइट | https://www.isro.gov.in/ |
आदित्य एल1 मिशन लगने वाला समय
पृथ्वी से आदित्य L1 को लॉन्च करने के पश्चात 1500000 किलोमीटर की दूरी को यह 4 माह में पूरा कर पाएगा I सूर्य पर होने वाली विभिन्न गतिविधियों का अध्ययन करने में यह सहायक रहेगा तथा अगले 5 सालों तक यह कार्य करेगा I
निष्कर्ष
इस मिशन के सफल होने के पश्चात अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में विद्यार्थियों की रुचि बढ़ेगी तथा युवा पीढ़ी इससे प्रेरणा लेगी I अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बनने के अगले चरण तक पहुंच जाएगा I सूर्य की विभिन्न गतिविधियों का डाटा एकत्र होगा तथा इन्हें विश्लेषण करने का कार्य विभिन्न यूनिवर्सिटीज के छात्रों को दिया जाएगा जिससे कि वे सभी डेटा विश्लेषण के कार्य में निपुण हो सकेंगे I इस मिशन में आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान नैनीताल सहायक भूमिका निभाएगा इसके लिए उत्तराखंड के हल्द्वानी में साइंस सेंटर बनाया जा चुका है सूर्य से प्राप्त डाटा का विश्लेषण विद्यार्थी साइंस सेंटर में करेंगे I इस प्रकार यह मिशन विभिन्न उद्देश्यों को अपने में समेटता हुआ नजर आता है हम सभी इसकी सफलता की कामना करते हैं I जय हिंद जय भारत I